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डार्क वेब (Dark web): इंटरनेट का अज्ञात और रहस्यमयी पक्ष

परिचय (Dark web)

Dark web :- इंटरनेट के इस युग में हम में से अधिकांश लोग जिस हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, उसे ‘सतही वेब’ (Surface Web) कहा जाता है। लेकिन, एक और हिस्सा है जिसे हम सामान्य रूप से नहीं देख पाते हैं, जिसे ‘डार्क वेब’ (Dark Web) कहा जाता है। यह इंटरनेट का ऐसा हिस्सा है, जहां तक पहुंचने के लिए विशेष तकनीक, ब्राउज़र्स और परमिशन की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम डार्क वेब से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।

dark web

इंटरनेट की परतें: सतही वेब, डीप वेब, और डार्क वेब

  • सतही वेब: यह इंटरनेट का वह हिस्सा है, जिसे हम रोज़मर्रा के सर्च इंजन जैसे गूगल, बिंग, आदि के माध्यम से देख सकते हैं। इसका लगभग 4-5% ही संपूर्ण इंटरनेट का हिस्सा होता है।
  • डीप वेब: यह वह हिस्सा है, जहां ऐसी सामग्री होती है जो पासवर्ड, लाइसेंस, या विशेष परमिशन के बिना नहीं देखी जा सकती, जैसे कि बैंक अकाउंट्स, मेडिकल रिकॉर्ड्स, या प्राइवेट डेटाबेस।
  • डार्क वेब (Dark web): डार्क वेब डीप वेब का ही एक छोटा हिस्सा है, लेकिन यह वह स्थान है जहां गोपनीयता और अनामता का सबसे अधिक महत्व होता है। यह ब्राउज़र जैसे Tor (The Onion Router) के माध्यम से ही एक्सेस किया जा सकता है।

डार्क वेब (Dark web)की विशेषताएं

  1. गोपनीयता और अनामता: डार्क वेब का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी उच्च स्तर की गोपनीयता है। यहां पर उपयोगकर्ता अपनी पहचान छुपाकर काम कर सकते हैं।
  2. विशेष ब्राउज़र: सामान्य ब्राउज़र से डार्क वेब तक पहुंचना संभव नहीं होता। Tor ब्राउज़र का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए किया जाता है। यह डेटा को एन्क्रिप्ट कर कई परतों में पैकेट्स के माध्यम से भेजता है, जिससे यूज़र की पहचान और लोकेशन छुपी रहती है।
  3. डॉट-ऑनियन डोमेन: डार्क वेब की वेबसाइट्स डॉट-ऑनियन (.onion) डोमेन का उपयोग करती हैं, जिन्हें सर्च इंजन से एक्सेस नहीं किया जा सकता।

डार्क वेब के उपयोग

  • सकारात्मक उपयोग:
    • गोपनीयता की रक्षा: पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता डार्क वेब का उपयोग सेंसरशिप वाले देशों में सुरक्षित रूप से संवाद करने और जानकारी साझा करने के लिए करते हैं।
    • सुरक्षित संचार: ऐसे लोग जो अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते, जैसे कि सीटी बजाने वाले (whistleblowers), वे सुरक्षित तरीके से जानकारी लीक कर सकते हैं।
  • नकारात्मक पक्ष:
    • अवैध गतिविधियाँ: डार्क वेब की छवि अक्सर नकारात्मक रही है क्योंकि यह साइबर अपराध, ड्रग्स के व्यापार, हथियारों की तस्करी, और अन्य अवैध गतिविधियों का गढ़ बन गया है।
    • हैकिंग सेवाएं और डेटा बिक्री: हैकर्स चोरी हुए डेटा, जैसे कि क्रेडिट कार्ड की जानकारी और संवेदनशील डाटा, को बेचने के लिए डार्क वेब का उपयोग करते हैं।

डार्क वेब कैसे काम करता है?

डार्क वेब तकनीकी रूप से Tor और अन्य समान नेटवर्क्स पर आधारित है, जो ट्रैफिक को एन्क्रिप्टेड नोड्स के माध्यम से रूट करता है। Tor नेटवर्क का उपयोग करने से डेटा भेजने वाले और रिसीव करने वाले दोनों पक्षों की पहचान अज्ञात रहती है।

क्या डार्क वेब सुरक्षित है?

डार्क वेब पर ब्राउज़ करना अपने आप में अवैध नहीं है, लेकिन इसके द्वारा प्रदान की गई अज्ञातता को देखते हुए, जोखिम भी जुड़े होते हैं। बहुत सी वेबसाइट्स पर जाने से वायरस, मालवेयर, और अन्य साइबर खतरों का सामना करना पड़ सकता है। उपयोगकर्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी साइट पर अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचना चाहिए।

डार्क वेब का भविष्य

डार्क वेब के भविष्य को लेकर मिश्रित राय है। जहां एक ओर इसे साइबर अपराधों का अड्डा माना जाता है, वहीं दूसरी ओर इसकी गोपनीयता की विशेषताएं इसे इंटरनेट की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार के पक्षधरों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाती हैं। यह देखा जाना बाकी है कि इसे तकनीकी सुधारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के माध्यम से किस तरह संतुलित किया जाएगा।

निष्कर्ष

डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जो हमें उसकी जटिलता और अज्ञातता की झलक देता है। यह कई तरीकों से उपयोगी हो सकता है, लेकिन इसकी अनामता के कारण इसका दुरुपयोग भी बड़े पैमाने पर होता है। उपयोगकर्ताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी सुरक्षा और नैतिकता को ध्यान में रखते हुए इसका इस्तेमाल करें।

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