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लहसुन (Lahsun) के अद्भुत (amazing) चमत्कारी फायदे – 2024

Lahsun

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लहसुन (Lahsun)

lahsun : लशुन या लहसुन प्याज कुल की ही एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके निकटवर्ती संबंधियों में प्याज, शैलट, लीक, चाइव, वेल्श प्याज और चीनी प्याज शामिल हैं। लशुन का उपयोग प्राचीन काल से ही भोजन (पाक) और औषधीय कार्यो मे उपयोग के लिए किया जा रहा है। इसकी एक विशेष गंध होती है और तीक्ष्ण स्वाद होता है, जो पकाने पर काफी हद तक समाप्त हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब) होती है, जिसे कई मांसल पुथियों (लौंग या फाँक) में बटा होता है। यह पौधे का सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला भाग है। पुथियों का उपयोग बीज, उपभोग (कच्चे या पकाए) और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियाँ, तना और फूल भी खाए जाते हैं, खासकर जब वे अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका कागज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका), जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुड़ी जड़ों से जुड़ा रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका उपयोग गले और पेट संबंधी बीमारियों में होता है। इसमें पाए जाने वाले सल्फर यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं, जैसे ऐलिसिन और ऐजोइन। लशुन का सर्वाधिक उत्पादन चीन में होता है, और दूसरा भारत में।

लहसुन (Lahsun) के चमत्कारी फायदे

Lahsun : लहसुन महत्पूर्ण शक्तिशाली प्राकृतिक एण्टीबायोटिक, एन्टी-फंगल, और एन्टी बैक्टीरियल है। लहसुन पुरातन काल से पाक ( घरेलु) और औषधीय दोनों रूप में प्रयोग किया जा रहा है। पाक (घरेलु ) और औषधीय में लहसुन के कच्चे पत्तियाँ, तना और फूल सभी का सम्पूर्ण रूप से प्रयोग किया जाता। इसमें मौजूद सल्फर इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की मात्रा अधिक होती है, इसके अलावा इसमें मौजूद प्रोटीन, एंजाइम तथा विटामिन B, सैपोनिन, फ्लेवोनॉयड आदि पदार्थ पाये जाते हैं ।

     लहसुन दिल से सम्बंधित बीमारियों के बचाव में महत्तवपूर्ण योगदान है, यह खून के थक्कों को बनने से रोकता है तथा शरीर में बढ़ने वाले कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, साथ ही लहसुन रक्त को पतला रखने में मदद करता है जिससे धमनियों में रक्त के थक्के नहीं जमते।

      लहसुन के नियमित रूप से इस्तेमाल करने से बढ़ती उम्र में युवापन बरकरार रख सकते। कच्चा लहसुन गले, पेट सम्बन्धी बीमारियों, आँत के कीड़ों को मारने, शरीर के घावों को शीघ्र भरने में मदद करता है।यह ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक), अस्थमा, निमोनिया, जुकाम, ब्रोंकाइटिस, पुरानी सर्दी, फेफड़ों में जमाव और कफ़ आदि रोकथाम तथा उपचार में बहुत प्रभावशाली होता है।

‘चरक संहिता’ भारत के प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथो में लहसुन को ऐसे परिभाषित किया गया है—

‘चरक संहिता’ के ‘सूत्रस्थान’ नामक भाग में लशुन (लहसुन) के गुण इस प्रकार बताए गए हैं। लशुन कीड़ों को मारता है । कोढ़ मिटाता है। (सफेद कुष्ठ) मिटाता है। वात का असर दूर करता है । पेट की गैस, अफारा दूर करता है। यह स्निग्ध होता है, खुश्क नहीं। यह गर्म, वीर्यवर्धक, कटु तथा कुछ भारी ( सकील -यानि देर में हजम होने वाला) होता है।

लहसुन (Lahsun) में पाये जानेवाला रासायनिक संरचना हैं-

कार्बोहाइड्रेट 29.0% । प्रोटीन 6.3% । खनिज लवण 1.0% । फास्फोरस 0.31% । वसा 0.1% । चूना 0 .3% । लोहा (प्रति 100 ग्राम) 1.3%

लहसुन (Lahsun)  के अनमोल फायदे

पेट के रोगों में लाभदायक –

डायरिया, लहसुन भूख  बढाने, पेट के रोगों जैसे: आँत के कीड़ों को मारने, शरीर के घावों भरने तथा खराब पदार्थों को बाहर निकाल कर आन्तरिक सफाई करता है जिससे हम स्वस्थ और रोग मुक्त जीवन व्यक्तित करते है । कच्चा लहसुन की कलियों को अच्छे से चबाकर पानी के साथ निगल लें।

दाँत दर्द और कान दर्द में राहत

दाँतो में दर्द होने पर लहसुन की एक कली पीसकर दाँत के दर्द के जगह पर लगाने से दाँत दर्द में आराम मिलता है। कान का दर्द होने में सरसों के तेल या तिल के तेल में लहसुन की कुछ कलियाँ डालकर तबतक गर्म करें, जबतक लहसुन जल जाये फिर इसे ठंडा होने पर अच्छे से छलनी से छानकर एक दो बूंदे कान में डाल लें जल्दी आराम मिलेगा। याद रखिये की यदि कान और दांत में घाव है इसका प्रयोग न करें, जितना संभव हो डॉ. की सलाह लें।

लहसुन (Lahsun) यौन क्षमता को बढ़ाता

आदि प्राचीन काल से लहसुन का प्रयोग एक कामोत्तेजक हर्ब्स के रूप में भी इस्तमाल किया  जाता है, लहसुन में मौजूद रसायन यौन क्षमता तथा शक्ति को बढ़ाता है। रात को हमेसा सोते समय शहद और पिसा लहसुन को मिलकर खाने से सेक्जुअल स्टैमिना और प्लेजर को बढ़ावा मिलता है ।

लहसुन (Lahsun) कमर दर्द में राहत

कमर के दर्द में लहसुन काफी लाभदायक है, जब भी कमर दर्द हो तो सरसों के तेल में लहसुन की 2-3 कलियाँ, अजवायन, लहसुन, हिंग को थोड़ी सी मात्रा में डालकर आग में काला पड़ जाने तक गर्म करें फिर इस तेल को ठंडा करके इस तेल से मालिश करें, ऐसा करने से कमर और जोड़ों के दर्द में रहत मिलेगी।

गले के रोगों में लाभदायक

गले की खराश और सूजन सम्बंधित इंफेक्शन में लहसुन काफी लाभदायक होता है इसके मिश्रण को लेने से गले का संक्रमण दूर होता है क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण संक्रमण को नष्ट करने का काम करते हैं।

खाँसी होने पर लहसुन (Lahsun) का उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है, प्रयोग के लिए 5 बूंद लहसुन का रस और एक चम्मचशहद के मिश्रण को दिन में दो बार एक-एक चम्मच पीने से खाँसी ठीक हो जाती है और गले के इंफेक्शन में लाभदायक इस मिश्रण को लेने से संक्रमण नहीं होता है। साथ ही कच्चे लहसुन की 2-3 कलियों को सिरका डालकर इस की चटनी बनाकर, प्रत्येक दिन में दो बार खाने से गला का दर्द और गले के सूजन को भी कम करता है ।

मोटापा घटाने में मददगार

लहसुन में मौजूद रसायन मोटापा घटाने का काम करते है इसलिए स्वस्थ व सेहतमंद आहार और नियमित व्यायाम के साथ लहसुन का इस्तेमाल से शरीर का मोटापा कम करने में मदद करता है ।

मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक

मधुमेह के रोगियों के बार-बार पेशाब करने से शरीर में मौजूद पोटेशियम की मात्रा कम होती रहती है जो स्वस्थ के लिए अच्छे लक्षण नहीं हैं। लहसुन पोटेशियम का सबसे अच्छा स्रोत है इसलिए लहसुन का उपयोग निरंतर करना मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक होता है।

सोरायसिस रोगियों के लिए लाभदायक  

सोरायसिस एक त्वचा विकार है जिसके होने से त्वचा पर लाल, परतदार चकत्ते दिखाई देते हैं, एक संक्रामक रोग नहीं है। यह एक बार – बार होने वाली बीमारी है जो कि समय के साथ बढ़ती जा सकती है । कच्चे लहसुन रोजाना लम्बे समय तक खाते रहें साथ ही एक चम्मच लहसुन का रस एक गिलास पानी में मिलाकर रोगग्रस्त त्वचा को रोजाना एक बार धोयें अच्छे से साफ करके सोरायसिस वाले भाग पर लहसुन के तेल से हलके से मालिस करें। यदि अधिक संक्रामक हो तो डॉ. की सलाह अनिवार्य है।

‘सुश्रुत संहिता’ में इसके गुण इस प्रकार बताए किए गए हैं –

‘सुश्रुत संहिता’ में ‘लशुन को चिकना, गर्म, तीखा, कटु, लेसदार, भारी, कब्ज को तोड़ने वाला, मधुररसवाला, बलदायक, वीर्यवर्धक, बुद्धि वर्धक, स्वर को मधुर बनाने वाला, चेहरे के रंग को उजला और आकर्षक बनाने वाला, आंखों की ज्योति बढ़ाने और आंखों के रोग दूर करने वाला बताया गया है ।

             यह टूटी हुई हड्डी को जोड़ने के लिए सामर्थवान है । हृदयरोग को दूर करता है। पुराने बुखार को हटाता है । शरीर की पीड़ा दूर करता है। निबंध, अफारा, वायुगोला अरुचि को दूर करता है। भूख जगाता है । खांसी को दूर करता है। शोफ, अर्श, कोढ़, पाचन अग्निमंदता को दूर करता है । पेट के कीड़े मारता है । वायु, सांस तथा कफ के रोगों को दूर करता है ।

लहसुन (Lahsun) से सेवन से जुडी कुछ सावधानियां :

  • लहसुन प्रकृति रूप से गरम होती है इसलिए इसे कम मात्रा से आरम्भ करें।
  • कभी कभी ज्यादा खाने से मुंह, पेट या सीने में जलन, गैस, उल्टी, शरीर में गंध, प्यास, बेचैनी और दस्त का कारण बन सकता है ।
  • गर्मी के मौसम में, या किसी को नाक से रक्त निकलने की बीमारी हो तो लहसुन का प्रयोग न करें।
  • गर्भवस्था, छोटे बच्चो को लहसुन बिलकुल नहीं खाना चाहिए ।
  • लहसुन का पेस्ट आदि बनाकर चेहरे पर भी ना लगायें ।
  • मासिक धर्म के समय ज्यादा लहसुन खाने से रक्त का भाव बढ़ना
  • सांस में बदबू और डकार आना
  • पेट और सीने में जलन ।
  • मतली उल्टी आना ।
  • शरीर में दर्द होना ।
  • पाचन संबंधी समस्या होना ।

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